'राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम' के बारे में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आत्मा 'बहुलतावाद और सहिष्णुता' में बसती है. मुखर्जी ने करते हुए कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं.
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